HomeLS65 नीति-वचन || ९२० सूक्तियों शुच्याचार,शिष्टाचार, सामाजिक व्यवहार, नीति, मनोविज्ञान,सत्य नियम,अध्यात्म-ज्ञान और मोक्ष-धर्म आदि विषयों से संबंधित हैं
LS65 नीति-वचन || ९२० सूक्तियों शुच्याचार,शिष्टाचार, सामाजिक व्यवहार, नीति, मनोविज्ञान,सत्य नियम,अध्यात्म-ज्ञान और मोक्ष-धर्म आदि विषयों से संबंधित हैं
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LS65 नीति-वचन || ९२० सूक्तियों शुच्याचार,शिष्टाचार, सामाजिक व्यवहार, नीति, मनोविज्ञान,सत्य नियम,अध्यात्म-ज्ञान और मोक्ष-धर्म आदि विषयों से संबंधित हैं

 
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Product Description

मनोवैज्ञानिक क्या है?मनोवैज्ञानिक का क्षेत्र क्या है? धर्म की नीति क्या है? नीति काव्य क्या है हिंदी में? नीति आयोग, हिंदू नीति, नीति अर्थ, 60 नीति के नाम, लोक नीति, नीति नियम की परिभाषा, 

प्रस्तुत ' नीति - वचन ' नाम्नी पुस्तक मेरी स्वतःस्फूर्त्त सूक्तियों की पन्द्रहवीं पुस्तक है । इस पन्द्रहवीं पुस्तक में ९ २० सूक्तियों का संकलन किया गया है । ये सूक्तियाँ शुच्याचार , शिष्टाचार , सामाजिक व्यवहार , नीति , मनोविज्ञान , सत्य नियम , अध्यात्म - ज्ञान और मोक्ष - धर्म आदि विषयों से संबंध रखती हैं । पुस्तक की जो बातें सद्ग्रंथों के वचनों से मेल खाती हों , समझना चाहिए कि वे मेरे स्वाध्याय से प्राप्त बातें हैं अथवा ऐसा भी समझना चाहिए कि सत्य पर किसी एक व्यक्ति का अधिकार नहीं होता , जो सत्य एक व्यक्ति को अनुभूत हो सकता है , वह दूसरे को भी अनुभूत हो सकता है । पुस्तक में जो व्यवहार्य बातें आयी हैं , मेरा दावा नहीं है कि मैं उन्हें तत्परता के साथ अपने जीवन में उतार लिया करता हूँ । हाँ , मैं उन्हें यथासंभव उतारने का प्रयास अवश्य कर रहा हूँ । पुस्तक के वचनों को कई दशकों में बाँटकर संकलित किया गया है । वे वचन विषयबद्ध नहीं किये जा सके हैं । मैंने यह पुस्तक इसलिए छपवायी कि यह भविष्य में मेरा और इसे पढ़नेवाले दूसरे आत्मकल्याण चाहनेवाले लोगों का भी मार्ग - प्रदर्शन कर सके । यदि इस पुस्तक से पाठकों को कुछ भी लाभ पहुँच सका , तो मैं अपना परिश्रम सार्थक समझँगा । अंत में , मैं इस पुस्तक के संपादन में सहयोग करने के लिए श्रीब्रजेश दासजी के प्रति अपना स्नेहाशिष प्रकट करता हूँ और पुस्तक के प्रकाशक आदरणीय श्रीउमाशंकर रजकजी तथा उनकी धर्मपत्नी श्रीमती रीना देवी के प्रति अपना धन्यवाद ज्ञापित करता हूँ , जिन्होंने लोक - मंगल की कामना से इस पुस्तक का प्रकाशन कराया । सुन्दर ढंग से पुस्तक का शब्द - संयोजन करने के लिए आदरणीय श्रीराजेन्द्र साहजी को भी मैं धन्यवाद दिये बिना नहीं रह सकता । जय गुरु ! संतनगर , बरारी , भागलपुर -३ ( बिहार ) 000 - छोटेलाल दास

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