प्रभु प्रेमियों ! वेद-दर्शन-योग-यह महर्षिजी की नौवीं कृति है। इसमें चारो वेदों से चुने हुए एक सौ मंत्रों पर टिप्पणीयां लिखकर संतवाणी से उनका मिलान किया गया है। आबाल ब्रह्मचारी बाबा ने प्रव्रजित होकर लगातार ५२ वर्षों से सन्त साधना के माध्यम से जिस सत्य की अपरोक्षानुभूति की है , उसी का प्रतिपादन प्रस्तुत पुस्तक में किया गया है .
नोट -- प्रभु प्रेमियों ! पेमेंट करने के बाद आप अपना ईमेल चेक करें . पेमेंट करते समय आपने जो ईमेल डाला होगा उसी ईमेल पर इंस्टामोजो की तरफ से ईमेल आएगा, जिसमें आपको पीडीएफ बुक डाउनलोड करने का ऑप्शन होगा . उसी ऑप्शन से आप अपनी बुक का पीडीएफ फाइल डाउनलोड करके पढ़ सकते हैं. जय गुरु महाराज.