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डॉ शारदा त्रिपाठी की यह रचना भोजपुरीं, आध्यात्मिक, बोधकथाओ आधारित हैं जिसका मंचन आकाशवाणी द्वारा कई केंद्रों पर हुआ है तथा भोजपुरी भाषा के लिए बिहार सरकार से पुरस्कृत भी है।