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प्रभु प्रेमियों ! ईश्वर स्वरूप को ठीक से समझे बिना जीवनभर सुख शान्ति के लिए ईश्वर भक्ति के नाम पर किया जानेवाला सारा श्रम निष्फल ही चला जाता है ।
नावं न जानै गाँव का , कहो कहाँ को जाँव ।
चलते चलते जुग गया , पाँव कोस पर गाँव ॥
(संत कबीर साहब)