प्रभु प्रेमियों ! लालदास साहित्य सीरीज के 06 ठीं पुस्तक 'संत-वचनावली सटीक' में पूज्यपाद लालदास जी महाराज ने भागलपुर विश्वविद्यालय (तिलकामाँझी भागलपुर विश्वविद्यालय) भागलपुर के अन्तर्गत दुमका महाविद्यालय स्थित स्नातकोत्तर हिन्दी विभाग के आचार्य - सह विभागाध्यक्ष तथा संत साहित्य के मर्मज्ञ डॉ ० रामेश्वर प्रसाद सिंहजी महोदय ( पी - एच ० डी ० , डी ० लिट् ० ) द्वारा संपादित एक महत्त्वपूर्ण ग्रंथ ' संत - वचनावली ' की ३५ संतों की लगभग २१७ वाणियों की टीका प्रस्तुत की है. कई वर्षों से भागलपुर विश्वविद्यालय , भागलपुर की एम ० ए ० ( हिन्दी ) ( स्नातकोत्तर हिन्दी विभाग ) की कक्षा के पाठ्यक्रम में निर्धारित है 'संत - वचनावली'। आइये इस अध्यात्मिक ग्रंथ से आपका परिचय कराते हैं-
प्रभु प्रेमियों ! संतमत सत्संग में संत वाणियों का बड़ा ही महत्व है . संतवाणीयों के आधार पर ही रात्रि कालीन सत्संग होता है . संतवाणीयां हमारे जीवन में वह सभी सुख प्रदान करता है, जिसकी हमें अभिलाषा है . अतः संतवाणीयों को अच्छी तरह से समझकर उसका पालन करना हम सबका कर्तव्य है. इसी कर्तव्य की पूर्ति के लिए पूज्यपाद लालदास जी महाराज बहुत सारे संत वाणियों की टीका किए हैं . उन टीका ग्रंथों में "संत-वचनावली सटीक" संत-वचनावली तो भागलपुर विश्वविद्यालय में पाठ्यक्रम का एक अंग ही है. इसका टीका करके इन्होंने सभी विद्यार्थियों एवं तमाम मानव समाज का बहुत बड़ा उपकार किया है.