संतमत - सत्संग में जो दीक्षित नहीं हैं , उन्हें पुस्तक की बातों को ठीक - ठीक समझ पाने में अवश्य ही कठिनाई होगी ; क्योंकि बहुत - सी बातें स्पष्ट रूप से नहीं , सांकेतिक रूप में लिखी गयी हैं । ऐसे लोगों को चाहिए कि वे पुस्तक पढ़कर नहीं , संतमत - सत्संग के किन्हीं दीक्षक गुरु से दीक्षा लेकर इन पद्धतियों का अभ्यास करें । | इस पुस्तक में जो कुछ भी लिखा गया है , उसमें से मेरा अपना कुछ भी नहीं है । जो कुछ है , वह गुरुदेव का है , अन्य संतों का है और आर्ष ग्रंथों का है । मैंने उनकी बातों को यहाँ केवल व्यवस्थित ढंग से जमा कर रखा है । मैंने यह पुस्तक , वास्तव में , उन लोगों के लिए लिखी है , जो सच्चे अर्थ में साधना करने के इच्छुक हैं । उन्हें इस पुस्तक से अवश्य ही सम्यक् मार्ग - दर्शन मिलेगा । -'छोटेलालदास' पृष्ठ- 96, सहयोग राशि- 75/ -मात्र।