"घट रामायण नाम की पुस्तक मुझको सन्तमत - सत्संग में सम्मिलित होने पर मिली। इसके रचयिता हाथरस में रहनेवाले सन्त शिरोमणि और तुलसी साहब हैं, ऐसा जानने में आया। लेकिन पुस्तक के पढ़ने पर मुझको बोध हुआ कि यद्यपि तुलसी साहब के सदृश परम सन्त के समृद्ध पद्य बहुत हैं, हालाँकि अन्यों के बीच उन महान पद्यों के अतिरिक्त और अधिक पद्य पुस्तक में अवश्य हैं, जो तुलसी साहब की रचना नहीं मानने योग्य है। इसका विचार मैं इस भूमिका में लिख दिया गया हूँ और परम सन्त तुलसी साहब के भी विषय में लिख दिया हूँ कि वे कौन थे? ग्रन्थ के अंदर जो मिथ्या और अकृत बातें मुझे मालूम हुईं, मैं उन चीजों को उन परम सन्त की नहीं मानता।" -सद्गुरु महर्षि मेंहीं परमहंस जी महाराज. (घट रामायण की भूमिका से) मूल्य ₹15 आकर्षक चित्र सहित। पृष्ठ 96